Kalpa Village: हिमाचल प्रदेश भारत के उत्तरी क्षेत्र में बसा हुआ एक बहुत ही ज्यादा खूबसूरत राज्य माना जाता है। जहां पर किसी भी शहर जाते हैं तो आपको खूबसूरती ही नजर आती है। लेकिन आज हम बात करने वाले हैं शिमला-काज़ा हाईवे पर नदी के किनारे बसे हुए गांव कल्पा गांव (Kalpa Village) की। अगर आप यहां पर चले गए तो नजारे देख कर हैरान रह जाने वाले हैं। सतलज नदी के किनारे पर बसा हुआ कल्पा गांव (Kalpa Village) छुपा हुआ गांव माना जाता है। जो कि हाइवे से दिखाई भी नहीं पड़ता है।
हिमाचल एक ऐसी जगह मानी जाती है जहां पर सैलानी साल भर जाया करते हैं।बता दें कि शिमला,कुल्लू और मनाली जैसे शहरों में आपको हर समय पर भीड़ मिल जाती है लेकिन कल्पा के साथ में ऐसा नहीं होता है।
सेब के बाग
कल्पा एक ऐसी जगह मानी जाती है जहां पर आपको सेब के बाद हर जगह नजर आते हैं। अर्थात आप जहां भी देखते हैं वहां पर आपको सेब के बगीचे नजर आएंगे। एक या फिर दोबारा नहीं लेकिन किलोमीटर लंबे सेब के बगीचे आपको देखने को मिल सकते हैं। जो कि बहुत ही आकर्षक नजर आते हैं।
व्यू प्वाइंट है शानदार
यहां पर देखने के लिए सिर्फ सेब का बाग ही नहीं होता है बल्कि कल्पा एक ऐसा छोटा सा कस्बा है जहां के किसी भी जगह पर कैलाश पर्वत की बर्फीली चोटियां आसानी से नजर आ जाती है। यहां से आपको किन्नर कैलाश और रालडंग कैलाश के नजारे भी आसानी से देखने को मिल जाएगी। इन नजारों को देखते ही आपका दिल झूम उठेगा।
शिमला के रेलवे स्टेशन से लगभग 244 किलोमीटर दूरी पर है Kalpa Village
जानकारी के लिए आपको बता दें कि शिमला रेलवे स्टेशन से लगभग 244 किलोमीटर दूरी पर यह कल्पा गांव (Kalpa Village) बसा हुआ है। पहले तो कल्पा किन्नौर जिले का एक मुख्यालय माना जाता था लेकिन अब रिकांग पिओ किन्नौर का एक मुख्यालय बन चुका है।
बौद्ध मठ और मंदिर
अगर आपको ऐसा लगता है कि कल्पा में सुंदर दृश्य और सेब के बागान के साथ-साथ और ऐसा कुछ भी नहीं है तो आप गलत सोच रहे हैं। इस गांव के मंदिर और बौद्ध मठ में आपको बहुत सारे सुंदर पारंपरिक हिमाचली वास्तुकला देखने को मिल जाती हैं। यहां पर स्थानीय नारायण नागणी मंदिर शिल्प कौशल का एक आदर्श उदाहरण होता है। दूसरा बौद्ध मठ होता है जिसमें हू-बुउ-इयान-कार गोम्पा भी शामिल माने जाते हैं।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस बात को बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि कल्पा अंग्रेजों का पसंदीदा छुट्टियों का सपोर्ट बताया जाता था। सर्दियों के मौसम में यह गांव बर्फ की सफेद चादर से एकदम से ही ढक जाया करता था।
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