Rajasthan आज भी देश में कई ऐसे लोग हैं जो शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। आज हम आपको Rajasthan के नागौर जिले के पूर्णाराम के बारे में बताने वाले। नागौर के पूर्णाराम Rajasthan में ‘जगत मामा ‘ के नाम से जाने जाते हैं। पूर्णा राम खुद पढ़ नहीं पाए, लेकिन उन्होंने गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए मोटिवेट किया।
पूर्णा गांव ने 4 करोड़ से अधिक रुपए नगद राशि के तौर पर बांट चुके हैं। 3 दिन पहले 90 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनका निधन होने से लोगों को काफी ज्यादा दुख हुआ।
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Rajasthan के जिले के राजोद गांव के रहने वाले पूर्णाराम के परिचितों ने बताया कि उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि बच्चे उन्हें मामा कहकर बुलाते और वे बच्चों को भांजा। उनके निधन के बाद उनकी याद के तौर पर जायल कॉलेज का नामकरण जगत मामा के नाम से कराने की मांग तेजी से की जाने लगी है।
ग्रामीण बताते हैं कि जगत मामा ने बच्चों के लिए 300 बीघा जमीन भी बेच दी। उससे जो रुपए मिले उन्हें स्कूल और भामाशाह के सहयोग से बच्चों को इनाम के तौर पर बांट दी।
Rajasthan- जरूरतमंद बच्चों की करते थे मदद-
पूर्णाराम हर दिन कई स्कूलों में जाते थे। वह जिस भी स्कूल में जाते थे वहां उन्हें रात में रुकने के लिए व्यवस्था मिलता था और वह रात में वही रुक जाते थे। वह जिस स्कूल में पहुंचते उसमें होनहार बच्चों की पहचान करके उन्हें 100 से 1000 रुपए तक का इनाम देते थे।
वह जरूरतमंद बच्चों की प्रवेश फीस से लेकर किताब, स्टेशनरी, बैग व स्कॉलरशिप तक की व्यवस्था भी करते थे।
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दो भाई थे, दोनों का हो चुका निधन-
गांव के हरिराम और सहीराम रेवाड़ ने बताया कि जगत मामा पूर्णा राम छोड़ ने जीवनभर समाज सेवा के चलते शादी नहीं की थी। उनके सिर पर दुधिया रंग का साफा, खाकी रंग की धोती, खाक में नोटों से भरा थैला हमेशा साथ रहता था। उन्होंने बताया कि पूर्णा राम के दो भाई थे, दोनों का निधन हो चुका है। पूर्णाराम का निधन उनकी बहन हस्ती देवी के यहां गांव रामपुर में हुआ। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे।